ग्लोबल वार्मिंग | परिभाषा | कारण | प्रभाव | उपाय || Global warming | Defination | Causes | Effects ||

 •| ग्लोबल वार्मिंग |•

रूपरेखा - प्रस्तावना 

            - परिभाषा 

            - ग्रीनहाउस प्रभाव

            - वैश्विक तापन में वृद्धि के कारण

            - वैश्विक तापमान में वृद्धि के प्रभाव

            - ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रण के उपाय

            - निष्कर्ष 


 || ग्लोबल वार्मिंग  ||


प्रस्तावना - मानव की बढ़ती जनसंख्या व उसके क्रियाकलाप गत शताब्दी से पर्यावरण के हास का कारण बनी हुई है। भूमंडलीय बदलाव के कारण मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के दुरूपयोग, जैव ईंधन की मात्रा में गिरावट एवं वृहद पैमाने पर भूमि उपभोग, में परिवर्तन आया है अत: मानवीय क्रियाओं के फलस्वरूप वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा एवं ग्रीन हाउस गैसों में बढ़ोतरी हुई है जिसके परिणामस्वरूप ओजोन परत का हास हो रहा है जो पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन का एक मुख्य कारण है।

परिभाषा - वायुमंडल में मानवजनित कार्बन डाईऑक्साइड तथा ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव से पृथ्वी के तापमान में निरंतर वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग / भूमंडलीय तापन कहलाता है।


ग्रीनहाउस प्रभाव -  पृथ्वी के चारो ओर विद्यमान वायुमण्डल व वातावरण में प्राकृतिक रूप से उपस्थित ग्रीन हाउस गैसें सूर्य से आने वाली लघु तरंगों को धरती पर आने तो देती है लेकिन वापस लौटने वाली अवरक्त दीर्घ तरंगों को अवशोषित कर रोक लेती है जिससे पृथ्वी गर्म एवं रहने योग्य बनी रहती है अर्थात ग्रीन हाउस गैसों के ही कारण पृथ्वी गर्म रहती है किंतु यदि वायुमंडल न होता तो पृथ्वी का तापमान -20°C तक कम हो जाता।


वैश्विक तापन में वृद्धि के कारण 




• जनसंख्या वृद्धि - जनसंख्या वृद्धि भूमंडलीय तापन का सर्वप्रमुख कारण है क्योकिं जैसे - जैसे जनसंख्या बढ़ रही है उसी गति से प्रतिव्यक्ति कार्बन उत्सर्जन की मात्रा में वृद्धि हो रही है तथा एक रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग में 90% तक का योगदान मानव उत्सर्जित कार्बन का है।


• औद्योगिकीकरण - उद्योगों के बढ़ते विस्तार एवं नगरीकरण के कारण कारख़ानों एवं उद्योगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है जिनसे निकलने वाले विषैले पदार्थ, चिमनी के धुएं, प्लास्टिक, हानिकारक रसायन आदि वातावरण को प्रदुषित कर भूमंडलीय तापन में सहयोग प्रदान करते है।


• वनों की कटाई - वर्तमान समय में मनुष्य भौतिक सुख -  सुविधाओ के विस्तार के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ कर रहा है तथा अविवेकपूर्ण रूप से पृथ्वी के वातावरण को सुरक्षित बनाए रखने वाले पेड़ - पौधों को नष्ट कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप आज औसत अवश्यक्ता से भी कम भाग पर वन आच्छादित है जो पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने में अपना योगदान प्रदान कर रहे हैं।


• क्लोरो - फ्लोरो कार्बन गैस की मात्रा में वृद्धि - उद्योगों में औद्योगिक तरल की सफाई में तथा ऐरोसोल प्रणोदक के रूप में फ्रिज तथा एयर कंडीशनर में क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैस का प्रयोग किया जाता है, जिससे CFC गैस की मात्रा में निरंतर वृद्धि हो रही है जिसके हानिकारक प्रभाव से ओजोन परत में कमी आ रही है।


• उर्वरक तथा कीटनाशकों का प्रयोग - कृषक अपने फसलों की अच्छी पैदावार तथा कीड़े से फसलों के संरक्षण हेतु उर्वरक तथा कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं जो पर्यावरण को हानि पहुंचाते हैं तथा ये उर्वरक न केवल मिट्टी को प्रदुषित करते है वरन् कार्बन डाइऑक्साइड (Co²) मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैसों को पर्यावरण में उत्सर्जित करती हैं जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं।



• निरंतर बढ़ता प्रदुषण - आज वर्तमान में विभिन्न कारणों जैसे औद्योगिक धुएं, हानिकारक विषैले रसायन, घरों से निकलने वाले रसोई के धुएं, वाहनों से निकलने वाले धुएं आदि के द्वारा पर्यावरण का हास हो रहा है तथा प्रदुषण में निरंतर वृद्धि हो रही है जो ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि का प्रमुख कारण है। 


वैश्विक तापमान में वृद्धि के प्रभाव 


• तापमान में वृद्धि व जलवायु परिवर्तन - भूमंडलीय तापन के हानिकारक परिणामस्वरूप पृथ्वी का ताप निरंतर बढ़ रहा है जिसके फलस्वरूप शीत ऋतु के काल में कमी तथा ग्रीष्मकाल की अवधि में वृद्धि हो रही है।

• ग्लेशियर का पिघलना एवं समुद्री जल स्तर में वृद्धि - पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के कारण ध्रुवों एवं उच्च पर्वतीय भागों में ग्लेशियर का बर्फ तेजी से पिघल रहा है जिसके परिणामस्वरूप समुद्र के जल स्तर में वृद्धि हो रही है।

• खाद्यान उत्पादन में कमी - तापक्रम में वृद्धि के परिणामस्वरूप पौधों में विभिन्न रोग, पीड़कतंतु एवं खरपतवार में वृद्धि होती है इन सभी कारको का खाद्यान उत्पादन पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है व उत्पादन दर में कमी आती है।

• ओजोन परत में छिद्र - क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस एवं पृथ्वी के तापक्रम में वृद्धि के, अत्यन्त हानिकारक प्रभाव स्वरूप ओज़ोन परत में कमी आ रही है तथा ओजोन परत में छिद्र हो गया है जिससे सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणें सीधे पृथ्वी में प्रवेश कर पृथ्वी को गर्म कर रही है एवं मानव पर हानिकारक प्रभाव डाल रही हैं।

• मरुस्थलीकरण - ग्लोबल वार्मिंग के कारण रेगिस्तान तथा बंजर भूमि का विस्तार धरातल पर हो रहा है जिसके परिणमस्वरूप अनुकूल प्राकृतिक दशा व वातावरण के अभाव में पशु - पक्षियों की प्रजातियाँ विलुप्त हो रही है।

• कैंसर रोग में वृद्धि - कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में निरंतर वृद्धि के कारण मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव स्वरूप कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

• समुद्र तटीय भागों का जलमग्न होना - समुद्री जलस्तर के बढ़ने के कारण विश्व में समुद्र से लगे हुये भू - भाग भविष्य में जलमग्न हो जायेंगे।

ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रण के उपाय

• कंडम वाहनों के प्रयोग पर प्रतिबंध - वे वाहन जो ख़राब हो गये है तथा प्रदुषण में सहायक है ऐसे वाहनों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाकर हम ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।

• स्वचलित आधुनिक वाहनों का प्रयोग - स्वचलित आधुनिक तकनीकी से निर्मित वाहन का प्रयोग करना चाहिए जिसमें न्युनतम पेट्रोल से अधिकतम उर्जा प्राप्त हो सके जिससे ग्रीन हाउस गैसों का नियंत्रण हो।

• जैविकखाद - कृषक अपना फ़सलों की अच्छी पैदावार हेतु जैविक खाद का प्रयोग कर उर्वरक व कीटनाशकों के हानिकारक प्रभाव को नियंत्रित करने में अपना योगदान दे सकते हैं।

• औद्योगिक अपशिष्ट का समुचित निपटान - उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट के उचित प्रबंधन एवं उद्योगों की चिमनियों में फिल्टर का प्रयोग कर हम प्रदुषण को नियंत्रित तथा जलवायु परिवर्तन को रोकने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।

• वृक्षारोपण - वृक्षारोपण और उनके संरक्षण द्वारा हम प्रदुषण को रोकने एवं कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

• इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का प्रयोग - इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का प्रयोग कर हम जीवाश्म ईंधन की बचत कर सकते हैं तथा वाहनों द्वारा होने वाले प्रदुषण को नियमित कर सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण से संबंधित नियमों का पालन एवं जलवायु परिवर्तन के प्रति सजग तथा जागरुकता।

निष्कर्ष - उपरोक्तलिखित विवरणानुसार यह ज्ञात होता है कि भूमंडलीय तापन वर्तमान समय में, पिछले कुछ दशकों से एक वैश्विक संकट के रूप में उभरा है जिससे विश्व का प्रत्येक देश आज जूझ रहा है इस प्रकार भूमंडलीय तापन के हानिकारक प्रभाव स्वरूप संपूर्ण विश्व को विविध समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है अत: आज सम्पूर्ण विश्व को एक मंच पर आकर इस वैश्विक समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करने की आवश्यकता है।


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