{आरंभिक जीवन}
नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 17 अगस्त, 1769 ई. को " कारासिका द्वीप के अजाकियो " में हुआ।
• उनके पिता का नाम - " चार्ल्स बोनापार्ट " था, और माता का नाम " मेरी लिटिजिया रोमोलिनो " था।
नेपोलियन एक मेधावी छात्र था, जो मात्र 16 साल की उम्र में सेना में दूसरे लेफ्टिनेट के पद पर नियुक्त हुआ। तत्पश्चात
• 11 दृष्टि 1799 - 18 मई 1804 तक - प्रथम कंसल के रूप में फ्रांस के शासक तथा
• 18 मई 1804 - 6 अप्रैल 1814 तक नेपोलियन "सम्राट" फ्रांस के शासक के रूप में और
वह फिर 20 मार्च से 22 जून 1815 को सम्राट के पद पर बना।
• लेकिन मात्र 51 साल की उम्र में वें पेट की बीमारी से पीड़ित होने के कारण सेंट हेलेना द्वीप पर 5 मई, 1821 ई. को हुआ, जहां वे अपने देश से निकले और अपने प्रिय फ्रांस से निर्वासित थे।
{प्रथम कौंसल के रूप में नेपोलियन के सुधार}
रूपरेखा - प्रस्तावना
- सूचना सामाजिक की स्थापना
- सार्वजनिक कार्य
- प्रशासन में सुधार
- सिविल कोड की स्थापना (1894)
- न्याय एवं दंड व्यवस्था
- प्रेस पर प्रतिबन्ध
- सैनिक सुधार
- शिक्षा प्रणाली
- आर्थिक सुधार
- निष्कर्ष
प्रस्तावना- नेपोलियन ने "सीये एवं ड्यूको" नाम के दो निदेशकों (डायरेक्ट्री के सदस्य) की सहायता से गुप्त समझौता कर 10 नवंबर , 1799 ई. "दुर्भावनापूर्ण शासन" का अंत कर "सलाहकार - शासन" की स्थापना के परिणाम स्वरूप शासन के सभी बागडोर तीन व्यक्तियों के हाथों में -नेपोलियन बोनापार्ट, सीये और ड्यूको के हाथो में शामिल किए गए जिन्हें नेपोलियन को प्रथम कॉन्सल बनाया गया।
सामाजिक सामान्यता की स्थापना- नेपोलियन ने स्वतंत्रता की भावना को "समानता" से अधिक महत्व दिया , नेपोलियन वर्ग भेद को समाप्त कर देते हैं जिसके परिणामस्वरूप कोई भी व्यक्ति अपनी योग्यता की शक्ति पर शासन के उच्च पदों पर आसीन हो सकता है।
सार्वजनिक कार्य- नेपोलियन ने प्रथम कौंसल के रूप में कई सार्वजनिक कार्य करवाए जैसे - नए सड़कों का निर्माण, पुराने सड़को की मरम्मत , सिंचाई के लिए नहरों की व्यवस्था, पेरिस का सौंदर्यीकरण, सुंदर भवनो का निर्माण इत्यादी कार्य करवाए।
प्रशासन में सुधार- नेपोलियन ने प्रशासन में भी सुधार किया, जिसके तहत उन्होंने एक कानून पारित करके "स्थानीय संस्थान को केंद्र की जिम्मेदारी" दी, जिसके परिणामस्वरूप अब प्रत्येक विभाग - Prefect के, जिला - उप Prefect और Campun अधिन था।
सिविल कोड की स्थापना (1894) - मौजूदा समय में फ्रांस में कोई निश्चित सहिंता नहीं था और वहां कई कानून व्यवहार में थे, लेकिन नेपोलियन ने इस कार्य में व्यकतिगत रुचि ली और 1894 ईस्वी में सिविल कोड की स्थापना की, जो निसंदेह के एक महान उपलब्धि इसलिए थी क्योंकि इसे "नेपोलियन कोड" भी कहा जाता है।
रोज नेपोलियन कोड की तारिफ करते हुए लिखा है कि , "नेपोलियन की प्रसिद्धी उनके विजित 40 युद्धो में नहीं वरण 'नेपोलियन सहिंता' में निहित है।" पेज नंबर -156
न्याय एवं दंड व्यवस्था - इसके अंतर्गत न्यायालय ने कई "सिविल एवं दंड" की स्थापना की जिसके न्यायाधीश का चुनाव नेपोलियन ने स्वयं की की थी। नेपोलियन का विधान कठोर था जिसमें सामान्य अपराध के लिए भी मृत्युदंड की व्यवस्था थी, इस प्रकार न्याय व्यवस्था को केंद्र के अधीन नहीं रखा गया एवम व्यवस्था द्वारा कि कोई भी न्याय गुप्त रूप से नहीं किया जाएगा साथ ही नेपोलियन ने जूरी परंपरा की शुरुआत की की और पत्र पत्रों को फिर से शुरू किया गया।
प्रेस पर प्रतिबन्ध - इसके तहत नेपोलियन 'प्रेस की स्वतंत्रता' पर प्रतिबन्ध लगाए गए जिस्से अपनी इच्छा से कुछ भी प्रकाशित नहीं कर सकते थे और यही इन पर नियंत्रण नियंत्रण हेतु सेंसर बोर्ड की स्थापना की गई थी जिससे कई अखबारों का प्रकाशन बंद हो गया था गया था।
सैनिक सुधार - इसके तहत नेपोलियन सैनिक सेवा को अनिवार्य कर दिया गया और कई देशों में फ्रांस की सेना ने अपने खर्च पर फ्रांस की आर्थिक स्थिति को बनाए रखा।
शिक्षा प्रणाली - इसके अंतर्गत नेपोलियन शिक्षा का राष्ट्रीयकरण 4 प्रकार के शिक्षण संस्थानों की स्थापना - प्राथमिक विद्यालय, मध्य विद्यालय, उच्च विद्यालय और विशेष विद्यालय।
आर्थिक सुधार - इसके तहत नेपोलियन ने सर्वप्रथम कर वुली का कार्य के लिए अयोग्य कार्य करते हुए फ्रांस की स्थिति घोषणा करने से "बैंक ऑफ फ्रांस" की स्थापना की जो अर्थिक दृष्टि से नि:सन्देह एक महत्वपूर्ण कार्य था। इसी प्रकार नेपोलियन ने फ्रांस के व्यय को कम कर अनावश्यक खर्च पर प्रतिबंध लगा दिया और 'व्यापार एवं वाणिज्य' के विकास से "चेंबर ऑफ कॉमर्स" की स्थापना की।
निष्कर्ष - उक्त विवरण के अनुसार ज्ञात होता है कि नेपोलियन ने फ्रांस की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रथम काउंसल के रूप में सुधार के लिए असाधारण प्रयास किए जो उसके सुधार के रूप में प्रभावी रहे। नेपोलियन के सुधार का अत्यधिक महत्व है क्योंकि जब नेपोलियन का पहला काउंसल बना तब फ्रांस की स्थिति अत्यंत दयनीय थी।
सन्दर्भ ग्रन्थ सुची - साहित्य भवन प्रकाशन
ले खक का नाम - डॉ.ए.के. मित्तल
पेज नंबर - 151,152,153,154,155,156