नगरीय बस्ती एवं ग्रामीण बस्ती में अंतर
प्रस्तावना - सामान्य अर्थों में, "वह स्थान जहाँ मानव अपने निवास हेतु घरों का निर्माण करता है बस्ती कहलाता है। मानव अधिवास के समूहों को बस्ती कहा जाता है। बस्तियों का विकास कालांतर में मनुष्य में स्थायी निवास कि प्रवृत्ति के साथ हुआ जिससे किसी ग्रामीण अथवा नगरीय बस्ती का उद्भव होता है। ग्रामीण बस्तियों का मुख्य व्यवसाय कृषि होता है जबकि, नगरीय बस्तियां ग्रामीण बस्तियों की तुलना में अपने कार्यो से भिन्न होती है।
ग्रामीण बस्ती / RULAR SETTLEMENT
ग्रामीण बस्ती वह बस्ती है जो अपने तात्कालिक क्षेत्र से घनिष्ठ रूप से सम्बंधित होती है, जहाँ मानव अपने जीवकोपार्जन हेतु विशेष या मुख्य रूप से कृषि कार्य अथवा उससे सम्बंधित गतिविधियों में सलंग्न रहता है। और यहाँ के मुख्य निवासी कृषक अर्थात किसान होते है।
प्रोफेसर विडाल डी ला ब्लाश के अनुसार," ग्रामीण बस्तियां एक ही आवश्यकता की व्यंजना है यद्यपि इनके रूप भिन्न है। यह भिन्नता जलवायु के भेदों और सामाजिक विकास के विभिन्न सोपान के कारण होती है। यह आवश्यकता कृषि क्रिया को किसी एक स्थान पर केन्द्रित करना है।
ग्रामीण बस्ती के लक्षण -:
- ग्रामों में निवास करने वाले लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि होता तथा इनके अन्य प्रमुख आर्थिक क्रिया क्रियाकलाप - पशुपालन, खनन, आखेट, मछली पकड़ना आदि होता है।
- ग्रामीण बस्तियों के निर्माण में स्थानीय ( मिटटी,बांस,लकड़ी, घास, पेड़ों की छाल आदि ) तौर पर प्राप्त सामाग्री का प्रयोग किया जाता है।
- ग्रामीण बस्तियों का विकास प्राय: जल स्रोतों के निकट होता है।
- ग्रामीण बस्तियों का निर्माण सुनियोजित ढंग से नहीं होता है।
- ग्रामीण बस्तियों के मकान प्राय: दो भागों में होते है प्रथम भाग पशुओं के रहने के लिए तथा द्वितीय भाग परिवारजनों के रहने हेतु।
- ग्रामीण बस्तियों का आकार प्राय: छोटा है तथा यहाँ के निवासी अधिकांशत: निरक्षर एवं रूढ़िवादी होते है।
- ग्रामीण बस्तियों के निवासियों में सहयोग व सहकारिता कि भावना विद्यमान होती है।
ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप / PATTERNS OF RULAR SATTLEMENT
- चौकपट्टी प्रतिरूप -: इस प्रकार के प्रतिरूप का निर्माण दो सड़कों के मिलने अथवा चौराहों पर बसने के फलस्वरूप होता है। यें सडकें सामानांतर होती है तथा परष्पर समकोण का निर्माण करती है। उदाहरण - मेरठ उत्तरप्रदेश।
- निहारिका प्रतिरूप -: इस प्रकार के प्रतिरूप का निर्माण मैदान या किसी गोलाकार भौतिक स्वरुप के किनारे बसने से होता है। ऐसे प्रतिरूप बिहार एवं मध्यप्रदेश राज्य में तालाब के किनारे अधिकतर देखने को मिलता है।
- तीरनुमा प्रतिरूप -: ऐसे प्रतिरूप का निर्माण प्राय: अंतरीपों पर होता है, जो तीन ओर समुद्र से घिरे होते है। इनका अगला सिरा संकरा तथा पिछला भाग चौरा होता है। इस प्रकार के प्रतिरूपों का निर्माण नुकीली नदियों के किनारे भी होता है। उदाहरण - कन्याकुमारी, तमिलनाडु।
- तारक प्रतिरूप -: इस प्रकार के प्रतिरूप का निर्माण आरंभ में त्रिज्याकार होता है किंतु सड़क मार्ग के विस्तार के कारण ये तारे के समान आकृति का रूप ले लेते है। और ऐसे प्रतिरूप का निर्माण अधिकांशत: नदियों के किनारे तथा विभिन्न मार्गों के मिलने के स्वरुप होता है। उदाहरण - उत्तर भारत का मैदान।
- रेखीय प्रतिरूप -: इस प्रकार के प्रतिरूप का निर्माण सड़क के दोनों ओर तथा नदी किनारे बसने पर होता है। जिस कारण ये किसी रेखा के समान दिखाई पड़ते है। उदाहरण - संथाल परगना, झारखण्ड।
- त्रिज्याकार प्रतिरूप -: इस प्रकार के प्रतिरूप का निर्माण किसी सड़क के अन्य सड़क से मिलने पर होता है, जिसके परिणामस्वरुप इस प्रकार के त्रिज्याकार प्रतिरूप का विकास होता है। और इस प्रकार के प्रतिरूप का विकास अधिकांशत: ऐसे स्थानों में होता है जहाँ सुव्यवस्थित आवागमन के साधनों का विस्तार पाया जाता है।
- अनाकर प्रतिरूप -: ऐसे प्रतिरूप का निर्माण तब होता है, जब लोग अपनी इच्छा के अनुसार भूमि के उपलब्धता के आधार पर कही भी बसने लगते है जिससे इस प्रकार के अनियमित अर्थात अनाकर प्रतिरूप का विकास होता है।
नगरीय बस्ती /URBAN SETTLEMENT
नगरीय बस्ती वह बस्ती है, जहाँ के निवासी अपने जीवकोपार्जन हेतु गैर प्राथमिक व्यवसायों में संलग्न होते है, यहाँ के निवासी मुख्यतः शिक्षित एवं कार्यकुशल होते है। नगरीय बस्तियां के निवासी अपने कार्यों के सन्दर्भ में ग्रामीण बस्तियों के लोगो से भिन्न होते है और वे प्राय: विनिर्माण उद्योग के कार्यों में संलग्न रहते है जिसे द्वितीयक कार्यकलाप क्षेत्र भी कहा जाता है।
रूसो के अनुसार, " नगरीय बस्तियों में रहने वालो लोगों को अपना भोजन और वस्त्र के लिए अनाज और रेशे उत्पन्न करने की आवश्यकता होती है। ये लोग इन वस्तुओं को इधर से उधर लाने ले जाने, इन वस्तुओं को तैयार करने, इनको खरीदने - बेचने और लोगों को लिखने - पढ़ाने इसी तरह के कार्यों में लगे रहते है।"
नगरीय बस्तियों के लक्षण -:
- नगरीय बस्तियों के निवासी गैर - प्राथमिक कार्यों में संलग्न है तथा इनके अन्य वैकल्पिक व्यवसाय निर्माण उद्योग, परिवहन, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्यय, उच्च प्रशासनिक सेवा आदि होता है।
- नगरीय बस्तियों का निर्माण सुनियोजित ढंग से होता है।
- नगरीय बस्तियों के निवासी द्वितीयक तथा तृतीयक श्रेणी के व्यवसायों की प्रधानता होती है।
- नगरीय बस्तियों में जनसंख्या घनत्व अधिक होता है और इन बस्तियों का आकार भी बड़ा होता है।
- नगरीय बस्तियों में परिवहन के विकसित साधन होते है एवं चारों ओर पक्की सड़कों का विस्तार पाया जाता है।
- नगरीय बस्तियों के निवासी साक्षर एवं आधुनिक विचारधारा वाले होते है।
- नगरीय बस्तियों में प्राय: सहयोग की भावना का अभाव पाया जाता है।
नगरों के प्रकार / TYPES OF URBAN SETTLEMENT
- पुरवा -: यह सयुंक्त राज्य अमेरिका में नगर का सबसे छोटा स्वरुप है। जो न तो पूर्णत: ग्रामीण होता है और न ही पूर्णत: नगर होता है, बल्कि यह दोनों का सम्मिश्रण होता है। जिसकी जनसंख्या 20 - 150 है। इन पुरवों का मुख्य कार्य अपने निकटवर्ती ग्रामीण जनसंख्या के लिए वस्तु की खरीद और बिक्री होती है।
- बाज़ार गांव -: यह उत्तरी अमेरिका के कृषि - निवासों से सम्बंधित व्यावसायिक केन्द्रों को बाज़ार गांव की श्रेणी में रखा जाता है। इन गाँवों में प्रमुखत: दुकानदार व व्यवसायी निवास करते है। यहाँ के निवासी कृषि नहीं करते बल्कि व्यवसायों में संलग्न रहते है।और बाज़ार गांव की जनसंख्या 150 - 600 होती है।
- कस्बा -: क़स्बा, पुरवा या बाज़ारगांव से बड़ा होता है जिसकी जनसंख्या 500 - 10000 से भी अधिक होती है। क़स्बा का कार्य सामान्यत: गाँवों से भिन्न होते है तथा प्रत्येक कस्बे में भिन्न व्यवसायी निवास करते है।
- नगर -: नगर मानव क्रियाओं द्वारा निर्मित विशिष्ट प्रकार का सामाजिक संगठन होता है। जिसकी उत्पत्ति जल - विकास की सुविधा एवं उपयुक्त धरातल आधार पर होती है। इसके क्षेत्र आर्थिक रूप से सम्पन्न होते है। जिसके कारण उस क्षेत्र की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है एवं उसका राजनीतिक - सांस्कृतिक विकास होता है। इन नगरों में भौतिक सुख - सुविधाएं, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, आमोद - प्रमोद के साधन सभी चीजें बहुतायत मात्र में उपलब्ध होती है। नगरों की जनसंख्या सामान्यत: 50,000 से अधिक होती है।
- महानगर -: यह नगर विशिष्ठ वस्तु - व्यापार पर आधारित होता है, जिसकी जनसंख्या 10 लाख से भी अधिक होती है। महानगर की जनसंख्या 50 लाख से अधिक होने पर इन्हें नेक्रोपोलिस कहा जाता है।
- सन्ननगर -: जब विभिन्न नगरों के क्षेत्रफल बढ़ते हुए आपस में मिल जाते है, तो ऐसे नगर सन्ननगर कहलाते है। जैसे - दिल्ली, चंडीगढ़, गुरुग्राम, नॉएडा, बुलंदशहर, गाज़ियाबाद।
- मेगालोपोलिस -: 10 मिलियन से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को मेगालोपोलिस कहा जाता है। जैसे - टोक्यो, मैक्सीको, मास्को, कोलकत्ता आदि।
निष्कर्ष - उपरोक्त लिखित विवरण से यह ज्ञात होता है कि, ग्रामीण बस्तियां नगरीय बस्तियों की तुलना में अधिक विकसित नहीं होती और अपने कार्यों के सन्दर्भ में भी वे नगरीय बस्ती से भिन्न होती है। और ग्रामीण बस्तियां विकास के अभाव के कारण मूलभूत सुविधाओं एवं संसाधनों से भी वंचित होती है, जिस कारण यहाँ जनसंख्या का घनत्व अत्यंत कम होता है। और छोटे गाँवों की संख्या अधिक होती है और यहाँ भिन्न -भिन्न प्रकार के अधिवासो देखने को मिलते है तथा नगरीय बस्तियों का अलग - अलग स्वरुप देखने को मिलते है जिनका निधारण जनसंख्या के आधार पर होता है।