एस्किमों जनजाति ( ESKIMO TRIBES )
प्रस्तावना -: ध्रुवीय प्रदेश में निवास में करने वाले इस अद्भुत जनजाति या मानव समूह को "एस्किमों" के नाम से जाना जाता है। जिन्हें भारतीय हिंदी भाषा में "कच्चा मांस खाने वाला' कहा जाता है। यह जनजाति अत्यधिक शीत प्रधान जलवायु में निवास करती है। और कठोर जलवायु का प्रभाव इनके जीवन पर स्पष्ट दिखाई पड़ता है। एस्किमों जनजाति वर्तमान समय में सबसे अनोखी जनजाति है। इस में जनजाति कठिन से कठिन से वातावरण में सामंजस्य स्थापित करने की अभूतपूर्व क्षमता होती है। यह मानव समूह पृथ्वी के अत्यंत शीत प्रधान क्षेत्रों में निवास करती है, जहाँ अन्य सभ्य प्राणी की पहुँच तक संभव नहीं है। अन्य (जनजाति समूह) आदिवासी की भांति इस जनजाति के लिए भी बाहरी लोगों का सम्पर्क घातक सिद्ध हुआ। यद्यपि प्रकृति का कठोर वातावरण इन्हें विचलित नहीं कर पाया किंतु विदेशी लोगों के सम्पर्क ने उनके अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह अवश्लय लगा दिया है।
निवास क्षेत्र -:
एस्किमो जनजाति का निवास क्षेत्र अमेरिका के उत्तर - पूर्व में स्थित ध्रुव से सटे हुए ग्रीनलैंड के विशाल से लेकर पश्चिम में अलास्का और बेहरिंग जलडमरूमध्य के उस पार साइबेरिया के उत्तर - पूर्वी नुकीले छोर तक पाया जाता है। इस सम्पूर्ण क्षेत्र में इनकी सभ्यता देखने को मिलती है। चुंकि ये अत्यंत ठंडी जलवायु वाले स्थानों में निवास करते है, इसलिए इनका सम्पूर्ण जीवन शिकार से प्राप्त भोजन पर आश्रित होता है। यह समस्त क्षेत्र कुछ जल तथा कुछ स्थल भाग के अतिरिक्त एक अखंड बर्फ की चादर से आच्छादित रहता है, जो शीतकाल में शेष भागों को ढक लेती है। इनके घर बर्फ से मुक्त पतली पेटी में पाए जाते है, जिनके चारों ओर ढालू या चट्टानी भूमि होती है। इनके निवास क्षेत्रों में मिटटी के दर्शन भी दुर्लभ है व वृक्षों का नितांत अभाव पाया जाता है। किंतु काई, लिचन एवं अन्य फूलों वाले पौधे यहाँ पाए जाते है जो ग्रीष्म ऋतू में हरे - भरे रहते है। एस्किमो समुदाय ग्रीनलैंड से लेकर अलास्का और बेहरिंग जल सयोंजक के उस पार तक बिखरे पाए जाते है।
शारीरिक संरचना -:
- विशुद्ध नस्ल के एस्किमो का रंग भूरा और पीलापन लिए हुए होता है।
- इनके चेहरे की आकृति गोलाकार होती है।
- इनकी आंखे काली, नाक चपटी, दांत सफ़ेद व मजबूत तथा जबड़े भारी होते है।
- कद की दृष्टि से एस्किमो जनजाति समूह को नाटा नहीं कहा जा सकता, वे मध्यम कद के होते है और उनकी ऊंचाई लगभग 6 फुट तक होती है।
- एस्किमो जनजाति के बाल पूर्णत: काले होते है, ये मानव समूह अपने बाल कभी नहीं कटवाते तथा स्त्रियाँ अपने बालों को सिर के ऊपर जुड़े के आकार में बांधती है तथा बालों के सजावट हेतु फीते भी प्रयोग में लाती है।
चारित्रिक विशेषता -:
एस्किमो जनजाति के लिए सील तथा वालरस का शिकार करना जान की बाज़ी लगा देने का खेल होता है, जिसे एस्किमो जैसे निडर व धैर्यवान ही खेल सकते है। एस्किमो जनजाति में वीरता का अर्थ रोष में आकर मानसिक संतुलन खो बैठना नहीं बल्कि विकत संकट की स्थिति में भी अपनी स्थिरता, गंभीरता एवं बुद्धि को विवेकी व अडिग बनाये रखना है, जिसका परिचय उनके जीवन के पग - पग में देखने को मिलता है। एस्किमो लालुप्ता एवं पाराष्परिक द्वेष भाव के शिकार कदापि नही होते, जिससे अन्य सभ्य कहलाने वाली जातियां ग्रस्त रही है। इनका जीवन एक कठोर संघर्ष है, क्योकिं इनकी लड़ाई किसी मानव जाती से न होकर स्वयं प्रकृति से है।एस्किमो विश्व में सबसे हंसमुख एवं प्रसन्नचित्त लोग है। और वे ऐसी बात कदापि नहीं करते जिससे दूसरों के ह्रदय को आघात पहुंचे।
आखेट -:
शीतकालीन आखेट -:
शीत ऋतू में एस्किमो तट के निकट सील का शिकार करते है। ये मानव समूह तैरते हुए बर्फ के पिंड में छेद कर लेते है जिसके द्वारा सील मछली सांस लेती है, जब ये छेद पतली बर्फ की परत से ढंक जाती है,तब एस्किमो के कुत्ते इसे सुंघते हैऔर खुरच देते है।जब सील मछली सांस लेने छेद के निकट आती है,तब ये उसके मुंह पर वार कर आखेट कार्य सम्पन्न करते है।
बसंतकालीन आखेट -:
बसंत ऋतू एस्किमो समुदाय को आखेट कार्य में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती व शिकार सुलभता से हो जाता है, क्योकिं इस समय उत्तरी ध्रुव का कस्तूरी बैल उत्तरी क्षेत्र व द्वीपों में व्यापक रूप से उपलब्ध हो जाता है,जिससे शीतकाल के समान आखेट कार्य में अत्यधिक श्रम नहीं करना पड़ता इनका मांस काफी स्वादिष्ट होता है तथा इन्हें शिकार के पश्चात स्लेज़ गाड़ियों की सहायता से कुत्तों द्वारा ढोया जाता है।
ग्रीष्मकालीन आखेट -:
ग्रीष्म ऋतू में आखेट मुख्यतः बाण द्वारा ही प्रचलित है। ग्रीष्मकालीन में जब बर्फ पिघलने लगती है तब यहां विविध प्रकार के वनस्पतियाँ उगती जाती है। अत: इस समय "पशुओं का शिकार" यहाँ मुख्य कार्य होता है। किंतु पशु - आखेट के साथ - साथ यहाँ मछली पकड़ना भी अनिवार्य क्रियाकलाप है।और ये लोग मछलियों को पकड़ने के लिए कांटे व डोरी का प्रयोग करते है।
आवास -:
ग्रीष्म ऋतू में एस्किमो चमड़े के बने शिविरों में निवास करते हैं। किंतु शीतकाल में ये हिमगृह या इग्लू में निवास करते है, जो बर्फ के बने होते है।
वस्त्र -:
ग्रीष्मकालीन आखेट से प्राप्त "खाल" ही एस्किमो समुदाय का मुख्य वस्त्र है। और इनके पहनावे की यह विशेषता है कि,"स्त्री एवं पुरूषों के पोशाक में अत्यंत कम अन्तर पाया जाता है।
निष्कर्ष -: उपरोक्त लिखित विवरण के अनुसार यह ज्ञात होता है कि, ये मानव समूह अत्यंत परिश्रमी एवं साहसी होते है जो जन्म से लेकर जीवनपर्यंत तक अपने जीवन हेतु प्रकृति से संघर्ष करते है। किंतु यूरोपीय लोगों द्वारा इनके जीवन में हस्तक्षेप से ये भोले - भाले प्राणी अपना स्वास्थ्य, जातिगत शुद्धता, परम्परागत दृढ़ता इत्यादि खोते जा रहे है तथा "सभ्य संसार" के रोगों के चपेट में आने से दिन - प्रतिदिन इनकी जनसंख्या घटती जा रही है,जिससे इनका अस्तित संकट में आ गया है।