मैकियावली अपने युग के शिशु के रूप में
प्रस्तावना - मैकियावली को आधुनिक राजनीति विज्ञान का जनक माना जाता है, जिसका कारण आधुनिक राजनीतिज्ञों का उनके विचारो से अत्यधिक प्रभावित होना है। मैकियावली वह प्रथम राजनितिक विचारक था जिसने मध्य युग के विचारों का खंडन किया जिस कारण उन्हें मध्ययुग का अंतिम विचारक तथा आधुनिक युग का आरंभकर्ता कहते है।
मैकियावली की प्रशंसा करते हुए विचारको ने अपना मत प्रकट किया जिनमें गैटील लिखते हैं कि," मैकियावली आधुनिक राजदर्शन का जनक था।"
जोन्स के अनुसार," मैकियावली अपने समय का सर्वोत्तम निचोड़ था ।"
मैकियावली का जीवन परिचय
मैकियावली के विषय विद्वान बर्ड लिखते है कि," राजनीति दर्शन में मध्ययुग अराजकता और अंधकार का युग था। मैकियावली राजनीति के अंधकार को दूर करता हुआ आधुनिक युग का सन्देश लेकर अवतरित हुआ "
मैकियावली का पूरा नाम Niccolo Machiavelli था जिसका जन्म 03 मई,1469 को इटली के सुप्रसिद्ध नगर फ्लोरेंस में हुआ था। उनके पिता एक माध्यम श्रेणी के वकील थे जो उन्हें प्रशासन में एक कुटनीतिक पद पर देखना चाहते थे अत: उनकी शिक्षा-दिक्षा भी इसी अनुरूप हुई ,"मैकियावली अपनी योग्यता के बूते पर 29 वर्ष कि आयु में फ्लोरेंस के 10 सदस्यीय परिषद् का सचिव नियुक्त हुआ " तथा रोम,पेरिस जैसे देशों में उसने 23 बार राजदूत के पद पर कार्य किया। मैकियावली अपनी समकालीन परिस्थतियों से काफी प्रभावित था अत: वह इटली को एक राष्ट्रीय राज्य के रूप में देखना चाहता था कितु उसकी इच्छापूर्ण होने से पूर्व ही एक साधारण व्यक्ति की भांति 1587 ईस्वी में उनका निधन हो गया।
मैकियावली कि प्रमुख रचनायें - The Prince,1532 ,The Discourses ,The Art of War
मैकियावली अपने युग का शिशु था इसे प्रमाणित करने वाले कारक
इटली का राजनीतिक विभाजन -: समकालीन समय में इटली 05 राज्यों में विभक्त था - नेपल्स,रोम,वेनिस,डची ऑफ़ मिलान और फ्लोरेंस। जिनमें आपस में काफी संघर्ष था, इसके अतिरिक्य इटली में नैतिकता का पूर्णत: पतन हो चूका था जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि "वहां के निवासी किराये के सैनिको के रूप में दुसरे देशों में लड़ने जाते थे,जो अधिक धन के लालच में कभी भी बिक सकते थे।" इस प्रकार सम्पूर्ण इटली नें "सच और ईमानदारी" के लिए कोई स्थान न था, स्वयं पादरी वर्ग का चरित्र इतना भ्रष्ट हो चूका था कि वे स्वयं ऐसी शक्तियों के प्रभाव में थी जो इटली के अध:पतन की स्थिति का लाभ उठाना चाहती थी अत: मैकियावली चाहता था कि इटली में एक सशक्त शासक हो जो सम्पूर्ण इटली का एकीकरण कर एक सुदृढ़ राजतन्त्र कि स्थापना कर इटली को सुरक्षा प्रदान करे जिसे हड़पने 'स्पेन व फ्रांस' आतुर थे।
राजतन्त्र की पुनर्स्थापना -: यूरोप में पुनर्जागरण के फलस्वरूप बौद्धिक चेतना के साथ राष्ट्रीय चेतना का भी विकास हुआ और शक्तिशाली शासकों ने सामंत तथा संसद में उनकी प्रतिनिधि सभा का दमन किया और एक निरंकुश राजतन्त्र की स्थापना की। इस प्रकार यह युग चर्च और राजनीति के क्षेत्र में "निरंकुश शासन" का युग था। जिसने मैकियवली कि प्रसिद्ध रचना "The Prince" को प्रभावित किया और The Prince के अंतिम अध्याय में भी मैकियावली यही चाहता था कि ,"इटली का एकीकरण होऔर इटली विदेशी ताकतों की दस्ता से मुक्त हो" मैकियावली के अनुसार यह कार्य केवल एक राष्ट्रीय राजा ही कर सकता था।
पुनर्जागरण या बौद्धिक नवजागरण -: मैकियावली के समय में समस्त यूरोप "पुनर्जागरण" के दौर से गुजर रहा था। पुनर्जागरण इटली से आरंभ हुआ था जो 16वीं शताब्दी में अपने चरमोत्कर्ष पर था जिस कारण इसे "इटालियन पुनरुत्थान" भी कहा जाता है। इस काल में "पारलोकिकता का स्थान वैज्ञानिक विचारधारा" ने ले लिया था जिसके परिणामस्वरुप मानव में बौद्धिक चेतना उत्पन्न हुई और अब तो सोफिस्टो के कथन को भी स्वीकार किया जाने लगा कि," Men is the measure of all things."
16वीं शताब्दी में मैकियावली का फ्लोरेंस भी पुनर्जागरण का केंद्र था जिससे स्वयं मैकियावली भी प्रभावित था। अत: उसने प्राचीन साहित्यों का अध्ययन एवं विश्लेषण किया तथा "चर्च एवं धर्म" पर कड़े प्रहार किये जिसने समाज को दूषित कर रखा था इस प्रकार मैकियावली धार्मिक सत्ता का विरोधी था जो इटली में समकालीन परिस्थितियों के अनुसार इटली में राजतन्त्र कि स्थापना करना चाहता था।
व्यावहारिक राजनीति पर बल -: मध्यकाल ली यह विशेषता था कि यह "व्यावहारिक राजनीति पर बल" देता था और मैकियावली ने भी व्यावहारिक राजनीति पर बल दिया है। मैकियावली के अनुसार,"राजा कि नैतिकता व्यक्ति की नैतिकता से बिलकुल भिन्न है।" साथ ही उन्होनें यह स्पष्ट तौर पर कहा है कि,"यदि साध्य अच्छा हो तो साधन कसी भी हो सकते है।" इस प्रकार या स्पष्ट है कि मैकियावली "राजनीति और नीतिशास्त्र" को परष्पर पृथक रखता है जो उस समय के "बौद्धिक नवजागरण" का प्रतीक था।
मुल्यांकन -: उपरोक्त लिखित विवरणानुसार यह ज्ञात होता है कि मैकियावली एक महान यथार्थवादी राजनीतिज्ञ था जिसका स्वप्न इटली को एक राष्ट्रीय राज्य के रूप में देखना था किंतु यह मैकियावली का दुर्भाग्य था कि वह अपने स्वप्न को पूर्ण होते न देख सका और उससे पूर्व ही 1527 ईस्वी में उसका निधन हो गया किंतु मैकियावली द्वारा रचित "The Prince" जो उनके मृत्यु के 5 वर्ष पश्चात् प्रकाशित हुआ उस रचना ने सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित किया इस प्रकार डनिंग महोदय का यह कथन सत्यापित होता है कि "वह प्रतिभासम्पन्न फ्लोरेंसवासी वास्तिवक अर्थो में अपने युग का शिशु था।"