मैटरनिख की विदेश नीति का वर्णन कीजिए।

 मैटरनिख का आरंभिक जीवन


मैटरनिख का पुरा नाम - Count Clemens Von Metternich था। उसका जन्म - 15 May, 1773 AD को "Coblong" नाम के नगर में हुआ था तथा उनके पिता राजकीय सेवा में उच्च पद पर आसीन थे।

1795 AD में मैटरनिख का विवाह - ऑस्ट्रिया के चांसलर के पौत्री से हुआ जिससे उसके प्रतिष्ठा में अपार वृद्धि हुई एवम उसकी योग्यता से प्रभावित होकर "ऑस्ट्रिया के सम्राट फ्रांसिस प्रथम" ने 1809 AD में उसे ऑस्ट्रिया का प्रधानमंत्री (चांसलर) नियुक्त किया। उसने इस पद पर 1809 - 1848 AD तक कार्य करते हुए 1809 - 1815 AD के मध्य नेपोलियन की बढ़ती महत्वकांक्षाओं से ऑस्ट्रिया की रक्षा की।


मैटरनिख की विदेश नीति

रूपरेखा - प्रस्तावना

            - मैटरनिख का आरंभिक जीवन

            - मैटरनिख की विदेश नीति

            • मैटरनिख एवं नेपोलियन 

            • मैटरनिख एवं विएना कांग्रेस

            • मैटरनिख एवं यूरोप की संयुक्त व्यवस्था 

            • मैटरनिख एवं जर्मनी 

            • मैटरनिख एवं इटली

            - मैटरनिख का पतन

            - मैटरनिख की विदेश नीति का मूल्यांकन 


प्रस्तावना - मैटरनिख यूरोप का एक महान राजनीतिज्ञ था जिसने यूरोपीय राजनीति में फ्रांस के शासक "नेपोलियन" के पतन में विशेष भूमिका निभाई जिसके परिणामस्वरूप संपूर्ण यूरोप की राजनीति में उसका प्रभाव प्रमुख हो गया था, जिस कारण 1815 ईस्वी से 1848 ईस्वी के काल को "मैटरनिख युग" कहा जाता है। मैटरनिख की विदेश नीति का उद्देश्य यूरोप में शांति बनाए रखना तथा ऑस्ट्रिया के प्रभाव ( प्रतिष्ठा ) में वृद्धि करना था और उसका विचार था कि ऑस्ट्रिया ही यूरोप की रक्षा सकता है। लेकिन ऑस्ट्रिया के प्रभुत्व में वृद्धि हेतू अन्य यूरोपीय राज्यों का सहयोग प्राप्त करना भी आवश्यक था अंत: मैटरनिख द्वारा यूरोपीय राज्यों का समर्थन प्राप्त करने हेतू किए गए प्रयास ही उसके विदेश नीति के रूप में प्रसिद्ध हुए।


• मैटरनिख एवं नेपोलियन - नेपोलियन की बढ़ती महत्वकांक्षाओं पर अंकुश लगाने के लिए मैटरनिख ने मित्र राष्ट्रों के एक संगठन का निर्माण कर संयुक्त रूप से नेपोलियन का सामना किया था। यही नहीं मैटरनिख ने नेपोलियन के विरुद्ध हुए प्रत्येक युद्ध में भाग लिया व नेपोलियन को परास्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप यूरोप में नेपोलियन के पतन के पश्चात वियना कांग्रेस में मैटरनिख के महत्त्व में वृद्धि हुई।


 • मैटरनिख एवं विएना कांग्रेस - नेपोलियन के पतन के पश्चात, नेपोलियन द्वारा यूरोप के नक्शे में लाए गए परिवर्तन की पुनर्व्यवस्था हेतु ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में "मित्र राष्ट्रों का एक सम्मेलन" आयोजित हुआ जिसे 'वियना सम्मेलन या कांग्रेस' के नाम से जाना जाता है। यह सम्मेलन 1815 ईस्वी में हुई थी जिसमें मैटरनिख ने अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हुए इस सम्मेलन की अध्यक्षता की और उसके सभी निर्णयों प्रभावित किया।


• मैटरनिख एवं यूरोप की "संयुक्त व्यवस्था" - मैटरनिख ने यूरोप महाद्वीप में शांति स्थापना के उद्देश्य से यूरोप में संयुक्त व्यवस्था की स्थापना की जिसके सदस्य प्रशा, इंग्लैंड, रूस व ऑस्ट्रिया थे जिसमें बाद में फ्रांस भी शामिल हो गया लेकिन बाद में पारस्परिक मतभेदों के कारण यह व्यवस्था समाप्त हो गई। किंतु इस व्यवस्था के महत्व से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि इस व्यवस्था के कारण यूरोप में आगामी 40 सालों तक शांति स्थापित रही।


• मैटरनिख एवं जर्मनी - वियना कांग्रेस के निर्णयों ने जर्मनी को 39 राज्यों के संघ में परिणत कर दिया जिसका अध्यक्ष ऑस्ट्रिया के सम्राट को बनाया गया था, अंत: ऑस्ट्रिया में राष्ट्रवाद की भावनाएँ प्रबल होने लगीं। किंतु मैटरनिख घोर प्रतिक्रियावादी था अंत: उसने विद्रोहों के दमन हेतू "एक्स - ला - शापेल" की अनुमति लेकर तथा जर्मनी में एक पत्रकार के हत्या के पश्चात "कार्ल्सवाद का आदेश" जारी कर दिया जिससे जर्मनी में विद्यार्थी आंदोलनों, आमोद प्रमोद के साधनों व संस्थाओं आदि पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया, अंत: मैटरनिख ने अत्यंत कठोर नीति का पालन करके जर्मनी में शांति की स्थापना की। 


• मैटरनिख एवं इटली - नेपोलियन ने अपने शासन काल के दौरान आंशिक रूप से इटली का एकीकरण किया था किंतु वियना कांग्रेस के 1815 ईस्वी के लक्ष्यों की पूर्ति हेतू पुन: इटली का विभाजन कर दिया गया जिसके परिणामस्वरूप इटली के लोम्बार्डी और वेनेशिया पर ऑस्ट्रिया का अधिकार हो गया व संपूर्ण इटली में निरंकुश तंत्र की स्थापना हो गई जिससे जनता के कष्ट वा दुखों में वृद्धि हुई।


मैटरनिख का पतन - 1848 ईस्वी में हुए फ्रांस की क्रांति के फलस्वरूप ऑस्ट्रिया में भी राष्ट्रवाद की भावनाओं से जनता भड़क उठी जिससे मैटरनिख भी न बच सका अंत: 13 March, 1848 को मैटरनिख मुर्दाबाद के नारे लगाये गये जिससे मैटरनिख ऑस्ट्रिया छोड़कर भागने के लिए विवश हो गया और उसके भागने के साथ ही साथ उसकी निरंकुश प्रतिक्रियावादी नीति का भी अंत हो गया।


मैटरनिख की विदेश नीति का मूल्यांकन - मैटरनिख एक योग्य नेता था जिसने ऑस्ट्रिया के प्रधानमन्त्री बनने के पश्चात अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी योग्यता सिद्ध की तथा जिस कारण लगभग 40 सालों (1815 - 1848) तक वह यूरोप की राजनीति पर छाया रहा जिससे ऑस्ट्रिया के महत्व में असाधारण वृद्धि हुई। किंतु उपरोक्त लिखित विवरणानुसार यह ज्ञात होता है कि वह समय के अनुसार न चल सका, जिस कारण शीघ्र ही उसका पतन हो गया।


सन्दर्भ ग्रन्थ सुची - साहित्य भवन प्रकाशन 

लेखक का नाम - डॉ ए के मित्तल

संस्करण - 2021

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