आधुनिक भारतीय समाज
मध्यकाल में अंग्रेजों का आगमन भारत में हो चूका था जिन्होंने अपना शासन और संस्कृति का विस्तार कर"फुट डालो और शासन करो की नीति" अपनाकर भारतीय राज्य पर शासन किया। लेकिन पाश्चात्य संस्कृति एवं तत्कालिन साहित्य के प्रभाव से पुनर्जागरण की स्थिति निर्मित हुई व समाज में कुछ ऐसे लोगो का जन्म हुआ जो समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करना चाहते थे जिसके परिणामस्वरूप भारत में अनेक सुधारवादी आंदोलन होने लगे।
जिसका आरम्भ उन्नीसवीं शताब्दी में राजा राम मोहन राय द्वारा सती प्रथा, पर्दा प्रथा, बाल विवाह , विधवा पुनर्विवाह निषेध जैसी रुढ़िवादी परम्पराओं का विरोध करके किया गया।
तत्कालीन समाज में अनेक समाज सुधारकों जैसे - राजा राम मोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामकृष्ण परमहंस, ईश्वरचंद विद्यासागर, महात्मा गांधी आदि का जन्म हुआ व समाज में पुनः परिवर्तन का दौर आया।
आज आधुनिकीकरण, औद्योगिकीकरण, नगरीकरण, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा पद्धत्ति एवं सामाजिक मूल्यों के विकास से समाज में जाति प्रथा की कठोरता में कमी आयी जिसके परिणामस्वरूप अस्पर्श्यता में कमी आयी।
आज आधुनिक युग में महिलायें प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के बराबर चल रही है, बाल विवाह की संख्या में कमी आ रही है और समाज में विधवाओं को भी उचित स्थान प्राप्त हो रहा है यद्यपि उनके पुनर्विवाह को भी स्वीकार किया जा रहा है।
लेकिन नकारात्मक परिणामस्वरूप संयुक्त परिवार प्रथा का स्थान एकल परिवार ने ले लिया है, समाज में विवाह जैसे पवित्र संस्कार का महत्व घटता जा रहा है जिसके परिणाम स्वरूप अंतरजातीय विवाह की संख्या में वृद्धि हुई है, प्रेम विवाह का प्रचलन बढ़ा है तथा तलाक की संख्या में वृद्धि हुई है ।
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